18 दोषों से जो रहित है वह वीतरागी भगवान हैं : संभव सागर जी

nspnews 25-05-2023 Regional

नरसिंहपुर। पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर कंदेली में विराजित निर्यापक मुनि श्री संभव सागर जी ससंघ ग्रीष्मकालीन वाचना के दौरान तत्वार्थ सूत्र के वाचन करते हुये अपनी अमृतवाणी में बतलाया कि सम्यक दर्शन मनुष्य में प्रगट होता है तो देव आयु का बंध होता है। देव, शास्त्र, गुरू में समचीन होने से सम्यक दर्शन प्राप्त होता है। 18 दोषों से जो रहित है वह वीतरागी भगवान हैं। इस जीवन में कोई किसी का कुछ नहीं कर सकता हर जीव की अपनी -अपनी परिणति निश्चित है। चारों संज्ञाओं, भय, भूख, प्यास, मैथुन से ऊपर रहने वाला ही भगवान है कोई किसी को सुख नहीं दे सकता, कोई किसी को दुख नहीं दे सकता, अपने-अपने असाता कर्म का उदय होने पर सुख व दुख मिलता है। मकडज़ाल के फेर में जिसमें फंस गया शेर, जिनका पंचइंद्रियों पर नियंत्रण होता है वही मुनि है। साधु के पास पिच्छिका, कमण्डल व शास्त्र के अलावा कुछ नहीं होता है। पिच्छि संयम का प्रतीक, कमण्डल शुद्धि के लिये, शास्त्र ज्ञान के लिये होता है। वह हमेंशा तप में लीन होता है यह तपस्वी साधु की चर्या है। जिसमें जानने, समझने, देखने की क्षमता है वह जीव है। मैंने जिंदगी भर धर्म किया परंतु फिर भी गलत जगह कैसे पहुंच गया। परीक्षार्थी कहता है मैंने परीक्षा में ईमानदारी से पढ़ा, पूरा लिखा परंतु फैल हो गया ये सब भटकाव के कारण परिणाम मिलते हैं। प्रत्येक जीव को अपनी आयु बंध के अनुसार परिणाम मिलता है भगवान का कोई भक्त छोटा या बड़ा नहीं होता है ये लोग मन में भ्रांति पाल लेते हैं। जिसमें भगवान की पूजा करने का या मंत्रों के ज्ञान का अहंकार होता है उसको परिणाम हमेंशा विपरीत मिलते हैं। हम किसी के कर्ता या स्वामी नहीं है हमें कर्त्तव्य, बुद्धि से कार्य करना चाहिए। अपने आयु में गलत बंध कर लिये हैं तो उसके परिणाम अंत समय में गलत होंगे। भगवान की पूजन करने  के उपरांत यदि प्रतिकूल स्थिति नहीं हुई तो आप जरा में उबलने लगते हो फिर आप पूजन करने का सिर्फ प्रदर्शन कर रहे हो। भगवान की पूजन करते हो तो भगवान के गुणों का थोड़ा बहुत परिलक्षण आपमें अवश्य दिखना चाहिए वरना आपका पूजन करने का कार्य व्यर्थ दिखता है। विषयों की चाह कम नहीं हो रही है तो इस पर दिखता है कि आपमें संसार की चाह में पड़े रहने का मन बना हुआ है। भगवान के समक्ष कटोरा लेकर सांसारिक सुखो की चाह के लिये नहीं आया जाता।

 

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